प्रेग्नेंसी : ज्यादातर दिक्कतों का है इलाज

प्रेग्नेंसी को लेकर लोगों के मन में कई तरह की चिंताएं होती हैं। नई मां और नए बाप बनने वाले लोग तो और डरे होते हैं क्योंकि जीवन का यह पहला अनुभव होता है। ऐसे में किसी विशेषज्ञ की सलाह काफी मायने में रखती है। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब डॉ. निकिता त्रेहन से जानें। वह सनराइज अस्पताल, दिल्ली में कार्यरत हैं और स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं लैपरोस्कोपिक सर्जन हैं...

मेरी वाइफ ने दो बार MTP की टैबलट ली हैं। फ्यूचर में प्रेग्नेंसी में कोई समस्या तो नहीं होगी?

आजकल एमटीपी टैबलट्स काफी बेहतर और अच्छी क्वॉलिटी की मौजूद हैं जो पूरी तरह से सेफ हैं। इसलिए आप फ्यूचर में प्रेग्नेंसी को लेकर चिंता नहीं करें। लेकिन इसकी वजह से दूसरी हेल्थ समस्या का खतरा रहता है जहां तक कोशिश करें ऑरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का यूज कम से कम करें और डॉक्टर की सलाह पर ही लें तो बेहतर होगा।

मेरी उम्र 34 साल है। मेरा दो बार अबॉर्शन हो चुका है। मेरे कोई बच्चा नहीं है। ऐसा कौन से इलाज करना चाहिए कि मुझे बच्चा हो जाए?

आपका दो बार प्रेग्नेंसी के बाद अबॉर्शन हुआ है। यूट्रस में कोई कमी या बीमारी की वजह से ऐसा हो सकता है। जैसे फाइब्राइड होना या फिर यूट्रस के अंदर छोटी सी ग्रोथ होने से भी ऐसा होता है, जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी ठहर नहीं पाती है क्योंकि इसकी वजह से यूट्रस के अंदर सेप्टम अपना काम नहीं कर पाता है। अगर कोई जेनेटिक रीजन आपमें या आपके पति में है तो इसके लिए एक ब्लड टेस्ट (Karyotyping) दोनों को कराना होगा। इसके अलावा भी ब्लड डिसऑर्डर हो सकता है जिसकी वजह से आपके गर्भ में फीटस को ब्लड सप्लाई नहीं हो पाता है और मिसकैरेज हो जाता है, जैसे APLAC। अच्छी बात यह है कि इसका इलाज संभव है। थाइराइड और डायबीटीज को भी रूल आउट करना होगा। अगर मिसकैरेज 12 वीक के बाद होता है तो इसकी वजह cervical incompetence हो सकता है, इसमें सर्विक्स का मुंह लूज हो जाता है और बेबी नीचे गिर जाता है। इसका भी इलाज है इसलिए आप एक अच्छी गायनेकॉलजिस्ट से मिलें और अपना इलाज कराएं।

प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में पेट टाइट हो जा रहा है, इसका क्या उपाय है?

प्रेग्नेंसी के दौरान Braxton Hicks contractions नॉर्मल है, पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान यह रहता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के लास्ट में यह बढ़ जाता है। इसलिए आप इसको लेकर चिंता नहीं करें। लेकिन अगर दर्द की वजह से ब्लीडिंग या लिक्विड निकलना शुरू हो जाए तो तुरंत अस्पताल पहुंचे।

मेरी बेटी के दो महीने का बेटा है, दोनों हेल्थी हैं। मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या वे 3 घंटे की डायरेक्ट फ्लाइट से ट्रैवल कर सकते हैं?

जन्म के एक महीने के बाद बच्चा ट्रैवल कर सकता है। लेकिन ट्रैवलिंग के दौरान बच्चों के कान पर इसका असर होता है, खासकर प्लाइट के उड़ने और उतरने के दौरान।

मेरी बेटी 8 महीने की प्रेग्नेंट है। उसका रंग अचानक काफी काला पड़ गया है। उसके चेहरे, गर्दन और हाथों की स्किन रफ हो गए है और उसमें दाने भी हो गए हैं। क्या यह नॉर्मल है या कुछ दिक्कत हो सकती है?

आपकी बेटी में जो बदलाव हुए हैं उसकी वजह प्रेग्नेंसी हार्मोन्स हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान कोई क्रीम या दूसरा इलाज नहीं कराएं। इसका सीधा असर पेट में पल रहे बच्चे पर हो सकता है।

मेरी उम्र 20 साल है, मेरी शादी नहीं हुई है और न ही कोई रिलेशन बनाया है। फिर भी पिछले तीन महीने से मुझे पीरियड नहीं आया है। मैं बहुत परेशान हूं। पहले भी एक बार ऐसा हुआ था तब मैंने आयुर्वेद की दवा ली थी, तो ठीक हो गया था।

इसकी कई वजह हो सकती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हार्मोनल इफेक्ट की वजह से ऐसा होता है, जिसमें सबसे ज्यादा कॉमन है जो आजकल काफी लड़कियों में देखा जा रहा है वह है PCOS। इसकी वजह से पीरियड बिगड़ जाते हैं, महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है और चेहरे पर एक्सट्रा बाल निकलने लगते हैं। इसके अलावा आपको दूसरे कारणों की भी जांच करनी होगी, जैसे प्रिमच्योर ओवेरियन फेल्योर और थाइराइड या prolactin hormone disorder. एक अच्छे डॉक्टर से मिलें और पूरी जांच कराकर इलाज कराएं।

मैं 7 महीने की प्रेगनेंट हूं, मेरे कमर और पैर में बहुत दर्द रहता है। इतना दर्द कि उठना बैठना भी मुश्किल हो जाता है। क्या वजह है और इसके लिए हमें क्या करना चाहिए?

प्रेग्नेंसी में बैक प्रॉब्लम्स बहुत ही कॉमन है। लेकिन बहुत ज्यादा दर्द की वजह ऑर्थोपेडिक रीजन से भी हो सकता है। विटामिन डी की कमी से भी ऐसा हो सकता है, देश में विटामिन डी की कमी बहुत ही कॉमन है। आप विटामिन डी लेवल का चेकअप कराएं और अगर इसका रिजल्ट नेगेटिव आता है तब आप ऑर्थोपेडिक से कंसल्ट करें।
बैक, मसल्स, स्पाइन, जॉइंट पेन में ऐक्यूपंक्चर से होने वाले फायदे से लोग वाकिफ हैं, लेकिन अगर किसी वजह से महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं। प्रेग्नेंट होने में दिक्कत हो रही है, इलाज के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ है। उम्र और मोटापे की वजह से दिक्कत हो रही है तो भी ऐक्यूपंक्चर से इलाज के बाद प्रेग्नेंट होने के लिए फिट हो सकती हैं। डॉक्टर का कहना है कि अभी भी लोगों को इस थेरपी से होने वाले फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, जबकि बिना जांच और कम खर्च के यह एक बहुत ही कारगर ट्रीटमेंट है।

कपूर एक्यूपंक्चर क्लिनिक की डॉक्टर सुनीता कपूर ने कहा कि ब्रेन बॉडी को कमांड देता है और अक्सर हार्मोन बैलेंस बिगड़ जाता है। किसी का फोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) बढ़ जाता है। यूट्रस की लाइनिंग वीक हो जाती है, ओवरी रेस्पांड नहीं करती हो, ट्यूब ब्लॉक हो जाए तो ऐक्यूपंक्चर से इसका इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं 30 साल से ज्यादा की उम्र में इलाज के लिए आती हैं और उनमें मोटापे के साथ-साथ पॉलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और स्ट्रेस की परेशानी होती है।

डॉक्टर सुनीता ने कहा कि एकता का अभी भी इलाज चल रहा है। वह 34 साल की हैं और उसकी मां गायनोकोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने सभी इलाज करा लिए लेकिन एकता प्रेग्नेंट नहीं हो पाई। एकता ने बताया कि वह और उनके पति काफी परेशान थे। यहां तक कि आईवीएफ भी कराया तो वह भी फेल हो गया। जब इलाज के लिए आई तो उसका वजन भी बहुत ज्यादा था। सबसे पहले उनका वजन कम किया और ऐक्यूपंक्चर से उसका 15 किलो वजन कम हुआ। सुनीता ने कहा कि एकता को उसे पीसीओडी की बीमारी थी, ट्यूब वर्क नहीं कर रहा था और जो अंडे बन रहे थे वह काफी अनहेल्थी होते थे। दो महीने के इलाज में वह प्रेग्नेंट हो गई हैं। अभी उसके फीटल ग्रोथ को भी ऐक्यूपंक्चर से कंट्रोल किया जा रहा है। वह 15 दिन में एक बार सेशन के लिए आती है।

इस बारे में डॉक्टर रमन कपूर ने कहा कि हर बीमारी के लिए ऐक्यूपंक्चर में इलाज है और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। बॉडी में हर बीमारी के लिए अलग-अलग पॉइंट होते हैं और अलग-अलग बीमारी के लिए उस पॉइंट पर नीडल डाला जाता है। आमतौर पर आधे घंटे का एक सेशन होता है। बीमारी के स्थिति के अनुसार सेशन दिया जाता है।

आमतौर पर आठ से दस सेशन में लोग ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस सिस्टम को बाकी सरकारी अस्पतालों में शुरू करने के लिए हेल्थ मिनिस्टरी को अपील की है। विदेशों में हर गाइनकॉलजिस्ट क्लिनिक में ऐक्यूपंक्चर इनहाउस होता है, लेकिन अपने देश में अभी सरकारी अस्पतालों में यह बिल्कुल नहीं है। एक दोनों एक साथ मिलकर इलाज करे तो मरीज को बेहतर इलाज मिल सकता है।

केस स्टडी 1

शादी के 15 साल बाद भी एकता मां नहीं बन पाई। वह भी तब जक एकता की मां खुद गायनकॉलजिस्ट हैं, उन्होंने वो सभी इलाज किए जो मॉडर्न ऐलोपथी में संभव था। दुनिया के तमाम तकनीक के यूज के बाद भी जब एकता प्रेग्नेंट नहीं हो पाई। 34 साल की उम्र में एकता ने ऐक्यूपंक्चर का सहारा लेने का फैसला किया। ऐक्यूपंक्चर के कुछ हफ्ते के इलाज के बाद एकता प्रेग्नेंट है और बच्चे के ग्रोथ के लिए भी ऐक्यूपंक्चर का सहारा ले रही है।

केस स्टडी 2

37 साल की दिव्या (बदला हुआ नाम) खुद गायनकॉलजिस्ट है, पति ऐनस्थिस्टिक लेकिन फिर भी उन्हें इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ। मेडिकल कारणों से प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही थीं। आखिरकार कपल्स ने ऐक्यूपंक्चर का हेल्प लिया और वह मां बन गई हैं।

केस स्टडी 3

46 साल की एक महिला जो मोटापे से परेशान थी। शादी के 20 साल बाद भी वह मां नहीं बन पाई थी। लेकिन, ऐक्यूपंक्चर के ट्रीटमेंट ने ना केवल उसका वजन कम कर दिया बल्कि उस उम्र में जब महिलाएं पीनोपॉज की तरफ जाती है उस उम्र में भी मां बन गई। वजन कम कराने के इलाज के लिए चेन्नै से दिल्ली ऐक्यूपंक्चर कराने आती थी और इस बीच डॉक्टर को अपनी परेशानी बताई और वह आज एक बच्चे की मां है।