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“दरिद्रता और बदहाली” आपकी लाइफ़ से ऐसे होगी दूर

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केमद्रुम योग के पहले आलेख में हमने आपसे कहा था कि यह योग जिस भी जातक की कुण्डली में निर्मित होता है, उसे जीवन भर या जीवन के किसी कालखण्ड विशेष में दरिद्रता का सामना करना ही पड़ता है। इसके अलावा यह भी बताया गया कि किन खास स्थितियों में ऐसा योग निर्मित होता है।

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इसी क्रम में आज हम केमद्रुम भंग योगों की भी चर्चा करेंगे, जिससे आप को इसका स्पष्ट भान हो सके कि यदि कुण्डली में केमद्रुम योग की सृष्टि होने के साथ ही उसके भंग होने की भी स्थितियां मौज़ूद हों, तो ऐसा जातक विशेष राजयोग संपन्न हो जाता है। यानि केमद्रुम भंग योग वाला जातक एक प्रकार से राजयोग का सुख भोगने वाला होता है।

 

यदि किसी जातक की कुण्डली में केमद्रुम योग निर्मित हो रहा हो किंतु चन्द्रमा से गुरु केन्द्र में हो तो केमद्रुम स्वतः भंग होकर राजयोग निर्मित कर देता है। यह एक विशेष प्रकार का “गजकेसरी योग” निर्मित करता है। गजकेसरी योग वाला जातक आजीवन सुख भोगता है।

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केमद्रुम भंग योग की महत्वपूर्ण स्थितियां निम्नलिखित हैं:

  1. चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो।
  2. लग्नेश बुध या गुरु से दृष्ट होकर शुभ स्थिति में हो।
  3. चंद्र और गुरु के मध्य भाव परिवर्तन का संबंध बन रहा हो।
  4. चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र पर दृष्टि डाल रहा हो।
  5. चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्न में स्थित हो।
  6. चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो।
  7. चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र से भाव परिवर्तन का संबंध बना रहा हो।
  8. चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो।
  9. लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्हीं दो भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो।
  10. चंद्र पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो।

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इस महान दारिद्रय योग से मुक्ति के उपाय:

  1. सोमवार की पूर्णिमा के दिन या सोमवार को चित्रा नक्षत्र के टाइम से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखें।
  2. महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार अवश्य करें।
  3.  सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं।
  4. सिद्ध कुंजिकास्तोत्रम का प्रतिदिन 11 बार तेज स्वर में पाठ करें।
  5. शिव तथा पार्वती की पूजा-उपासना।
  6. घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। इसके सम्मुख प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ करें। दक्षिणावर्ती शंख के जल से मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं।
  7. चांदी के श्रीयंत्र में मोती जड़वाकर लॉकेट धारण करें।
  8. रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र “ॐ नम: शिवाय” का जप करने से केमद्रुम योग के अशुभ फल कम होते हैं।

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Posted by admin - April 25, 2015 at 4:38 pm

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